हिंदी कितनी बङी, कितनी मिटी
हिंदी कितनी बङी, कितनी मिटी
हिंदी
बहुत बङी भाषा है लेकिन लोग मानते है कि इसमे ताकत नही है । हिंदी दिवस के
अवसर पर हिंदी अपने हक का विनम्र दावा पेश करती नजर आती है । देश मे
हिंदी बोलने वाले करीब नब्बे प्रतिशत है! बिना इसके उत्तर भारत मे काम करना
मुश्किल होता है! संसद के पचास फीसदी सदस्य हिंदी क्षेत्रो से आते है ।
सरकार के लगभग नब्बे फीसदी मन्त्रीयो ने हिंदी मे शपथ ली है । और तो और
संसदीय बहसो मे हिंदी का बोलबाला है । हिंदी फिल्म उधोग दुनिया मे नम्बर दो
पर आता है । हिंदी संगीत का बाजार भी बहुत बङा है! कोरिया चीन व मध्य
एशिया के अनगिनत छात्र हिंदी पढने भारत आते है । ब्रांडो की, विज्ञापनो की
सबसे बडी भाषा हिंदी है। अब यह बिजनेस की भाषा भी बन चली है! श्रमिक वर्ग
का हिस्सा हिंदी क्षेत्रो से पूरे भारत को सप्लाई होता है । हिंदी समाज मे
किसानो की सबसे बडी संख्या है। फिर हम कैसे कह सकते है कि हिंदी मे ताकत
नही है । दरअसल हिंदी समाज अपनी इस ताकत से हमेशा अनजान रहा है! भाषाए
हमेशा से एक दूसरे के सह अस्तित्व मे रही है और ऐसा होना भी चाहिए । हिंदी
केवल भाषा ही नही राजभाषा भी है । हिंदी दिवस पर हमे हिंदी की दीनता की नही
इसके राजभाषा होने की बात करनी चाहिए और पूछना चाहिए कि सरकार ने अपने
कामकाज मे हिंदी को कितना बढाया और कितना घटाया। उपहास का पात्र बन चुका
हिंदी दिवस जिसे हमारे सविधान ने राजभाषा का दर्जा दिया है उसका अनुपालन हम
सबको करना है!
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