खत्म होती चिट्ठीयो की परम्परा

खत्म होती चिट्ठीयो की परम्परा 


अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा हाल ही मे अपनी पोती व नातिन के नाम चिट्ठी लिखने की खबर पढ कर एक बार फिर चिट्ठीयो की याद ताजा हो गई । एक समय था जब लोग अपने प्रियजनो का कुशल मंगल जानने के लिए डाकिए का इंतजार करते थे। और लम्बे समय तक अगर चिट्ठी न आए तो बेचैन हो जाते थे । परदेश  मे कमाने गया पति, पढाई करने बाहर गया बेटा या भाई, सरहद पर रखवाली करते सैनिक या अन्य कोई भी हो, सबके परिजनो को उनके खतो का बेसब्री से इंतजार हुआ करता था । चिट्ठीयो मे लोग अपने मन की बात खुलकर व्यक्त करते थे । इन्ही  चिट्ठीयो मे फूल आदि भी रख कर भेजते थे । लेकिन आज के समय में प्रियजनों और रिश्तेदारो को चिट्ठी लिखने की परंपरा लगभग खत्म सी ही हो गई है । अत्याधुनिक  तकनीको ने चिट्ठीयो के रंग बिरंगे संसार को हमसे दूर कर दिया है । कई बार फोन पर हम अपने दिल की भावनाओ को खुलकर नही बोल पाते। लेकिन चिट्ठी मे भावनाओ का खुलकर इजहार कर सकते थे । खास तौर पर बङे बुजुर्गो को अपनी भावनाओ से अवगत कराने और उनके प्रति आदरभाव व अपने जीवन मे उनका महत्व उन्हें बताने के लिए चिट्ठीया बङे काम की होती थी । आज के भाग दौड भरे जीवन मे जहाँ लोगो के पास वक्त का अभाव है । अगर थोडा सा भी समय निकालकर अपने किसी प्रिय को खत लिखा जाये तो आपका वह खत निश्चित ही खत पाने वाले के लिए किसी उपहार से कम नही होगा ! 

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